2 अक्टूबर सन 1868 को भारत की धरती ने एक है सात महामानव पैदा किया जिसने ना केवल भारतीय राजनीति का नक्शा बदला , बल्कि संपूर्ण विश्व को सत्य एवं अहिंसा कोमल शांति और प्रेम की अजय शक्ति के दर्शन | कराएं उनका जन्म पोरबंदर काठियावाड़ में हुआ | माता-पिता ने उनका नाम मोहनदास रखा |
मोहनदास स्कूल जीवन में साधारण कोठी के छात्र थे | परंतु व्यवहारिक जीवन में उनकी विशेषता प्रकट होने लगी थी उन्होंने अध्यापक द्वारा नकल कराए जाने पर नकल करने से इंकार कर दिया | वह 1887 में कानून पढ़ने के लिए विलायत चले गए |
वकालत के सिलसिले में उन्हें एक बार दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। वहाँ मोहनदास के साथ भी ऐसा दुर्व्यवहार हुआ। उसे देखकर उनकी आत्मा चीत्कार कर उठी। उन्होंने 1894 में "नटाल इंडियन कांग्रेस" की स्थापना करके गोरी सरकार के विरुद्ध बिगुल बजा दिया।
भारत आकर गांधी जी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने सत्य और अहिंसा को आधार बनाकर राजनीतिक स्वतंत्रता का आंदोलन छेड़ा। 1920 से 22 में उन्होंने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया।
सन 1929 में गांधी जी ने पुनः आंदोलन प्रारंभ किया। यह आंदोलन नमक सत्याग्रह के नाम से बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है, गांधी जी ने स्वयं साबरमती आश्रम से डांडी तक पदयात्रा की | तथा वहां नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया | सन 1931 में आप राउंड टेबल कांफ्रेंस में सम्मिलित होने के लिए लंदन गए | 1942 में आप ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया. देशभक्ति क्रांति की ज्वाला सुलगने लगी, देश का बच्चा बच्चा अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने पर उतारू हो गया. 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया|
भारत-पाक विभाजन हुआ.. देश में विभिन्न स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. उन्हें रोकने के लिए गांधीजी ने आमरण अनशन रखा. इसे सांप्रदायिकता की आग तो बुझ गई परंतु वह स्वयं उस के शिकार हो गए हैं| 30 जनवरी 1948 को संसार का मानव के हत्यारे की गोली का शिकार पर परलोक सिधार गया.
गांधीजी सत्य ओर अहिंसा के पुजारी थे. सभी धर्मों का सम्मान आदर करते थे. उनकी प्रसिद्ध उक्ति है ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान.|वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और महान संस्कृत.|
मोहनदास स्कूल जीवन में साधारण कोठी के छात्र थे | परंतु व्यवहारिक जीवन में उनकी विशेषता प्रकट होने लगी थी उन्होंने अध्यापक द्वारा नकल कराए जाने पर नकल करने से इंकार कर दिया | वह 1887 में कानून पढ़ने के लिए विलायत चले गए |
वकालत के सिलसिले में उन्हें एक बार दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। वहाँ मोहनदास के साथ भी ऐसा दुर्व्यवहार हुआ। उसे देखकर उनकी आत्मा चीत्कार कर उठी। उन्होंने 1894 में "नटाल इंडियन कांग्रेस" की स्थापना करके गोरी सरकार के विरुद्ध बिगुल बजा दिया।
भारत आकर गांधी जी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। उन्होंने सत्य और अहिंसा को आधार बनाकर राजनीतिक स्वतंत्रता का आंदोलन छेड़ा। 1920 से 22 में उन्होंने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया।
सन 1929 में गांधी जी ने पुनः आंदोलन प्रारंभ किया। यह आंदोलन नमक सत्याग्रह के नाम से बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है, गांधी जी ने स्वयं साबरमती आश्रम से डांडी तक पदयात्रा की | तथा वहां नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया | सन 1931 में आप राउंड टेबल कांफ्रेंस में सम्मिलित होने के लिए लंदन गए | 1942 में आप ने भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया. देशभक्ति क्रांति की ज्वाला सुलगने लगी, देश का बच्चा बच्चा अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने पर उतारू हो गया. 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया|
भारत-पाक विभाजन हुआ.. देश में विभिन्न स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. उन्हें रोकने के लिए गांधीजी ने आमरण अनशन रखा. इसे सांप्रदायिकता की आग तो बुझ गई परंतु वह स्वयं उस के शिकार हो गए हैं| 30 जनवरी 1948 को संसार का मानव के हत्यारे की गोली का शिकार पर परलोक सिधार गया.
गांधीजी सत्य ओर अहिंसा के पुजारी थे. सभी धर्मों का सम्मान आदर करते थे. उनकी प्रसिद्ध उक्ति है ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान.|वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और महान संस्कृत.|